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Sunday 5 May 2013

असफलता की सीख बनी सफलता का सबब

 इंडियन स्कूल आफ माइन्स के दाखिले की परीक्षा  में पूरे भारत में प्रथम स्थान

इंडियन इंस्टिट्यूट आफ टेक्नोलॉजी, खड़गपुर में अपनी व्यापार नीति का लोहा मनवा

‘किसिंग आस्कर‘ नाम की वैज्ञानिक किताब 2012 में बेस्ट सेलर चुनी गयी

प्रणव प्रियदर्शी
रांची : प्रतिभा राहों की पहचान में मात भले खा जाए, लेकिन जब सही राह पर आती है तो प्रतिमान स्थापित करती है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है धनबाद के 27 वर्षीय श्री अभिनव कुमार श्रीवास्तव ने। इनकी शुरुआती असफलता ही सफलता का सबब बनी। अभिनव की कहानी किसी परिकथा से कम नहीं है, लेकिन ये कहानी शत प्रतिशत सत्य है। अभिनव किसी भी व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व के बारे में सब कुछ बता सकते हैं, उस व्यक्ति की लेखनी और हस्ताक्षर पढ़ कर। अत्यंत तेजस्वी, शांत और शर्मीले स्वाभाव के अभिनव की संघर्ष की कहानी प्रारंभ हुई 2003 से। जब अभिनव को बोर्ड परीक्षा में गणित में 100 में एक अंक आया था। अभिनव ने अपनी लेखनी देख कर आर्ट्स की पढ़ाई चालू कर दी और इग्नु से स्नातक किया। पांच वर्ष तक अभिनव अध्यन करते रहे और लेखनी कला अर्थात ‘ग्राफोलॉजी’ का भी शोध करते रहे।
  इसका निष्कर्ष ये निकला की सन 2008 में अभिनव ने इंडियन स्कूल आॅफ माइन्स के दाखिले की परीक्षा में पूरे भारत में प्रथम स्थान प्राप्त किया और इसके उपरांत अभिनव की अत्यंत ओजस्वी छवि दिन दूनी  और रात चौगुनी उभरती रही। कुशल नेतृत्व  में अत्यंत सक्षम अभिनव ने 2009 की जनवरी में इंडियन इंस्टिटयूट आॅफ टेक्नोलॉजी, खड़गपुर में अपनी व्यापार नीति का लोहा मनवाया और प्रोजेक्ट  प्रमुख के प्रभार में पूरे भारत में तीसरा स्थान प्राप्त किया। तदनुपरांत अभिनव ने एक ‘किसिंग आस्कर‘ नाम की एक वैज्ञानिक किताब लिखी, जो कि लंदन स्थित औथोर हाउस से प्रकाशित हुई है। 2012 में यह किताब बेस्ट सेलर में चुनी गई है। इनके तीन अनुसंधान पत्रिका ‘इन्स्टीट्यूट आफ पब्लिक एंटरप्राइज़स, हैदराबाद’ में प्रकाशित हो चुके हैं। ज्ञातव्य है कि यह संस्थान, इंडियन काउन्सिल आफ सोशल साइन्स एंड रिसर्च के द्वारा ‘सेंटर फॉर एक्सलेन्स इन डॉक्टोरल स्टडीस’ मान्यता प्राप्त है। ये अभी निम्स यूनिवसिर्टी, शोभनगर, जयपुर से मैनेजमेंट में डॉक्टोरेट आफ फिलॉसफी कर रहे हैं। अपनी ठोस अनुसंधान प्रक्रिया पर काम करने के कारण अभिनव को पड़ोसी मित्र देश श्री लंका की ‘मिनिस्ट्री आॅफ वॉटर सप्लाइ एंड ड्रेनेज’ ने आने का निमंत्रण दिया। अभिनव ने श्री लंका और भारत दोनों देशों में परस्पर सहयोग से पानी की समस्या कैसे दूर की जाए, जैसी समस्याओं का निदान अपने प्रॉजेक्ट के निष्कर्ष में दिया है।
  अभिनव की कार्यशैली को देखते हुए सितम्बर 2012 में इग्नु के कार्यक्रम ‘अप्रिसियेशन कोर्स इन एन्वाइरन्मेंट’ में उन्हें गेस्ट लेक्चर के रूप में आमंत्रित किया गया। इस कार्यक्रम में जल संकट और जल प्रलय की विभिन्न समस्याओं से निबटने की तकनीकों के बारे में विस्तार से बताया। इनकी लेखनी पहचानने की कला के विभिन्न पहलू पर आइआइटी, रूड़की और दिल्ली ने भी अपनी स्वीकृति दी। अभिनव ने अंतत: 1600 बच्चों की लेखनी पर शोध पूरा किया और उनके इस उत्कृष्ट कार्य को नटिओना रिसर्च यूनिवर्सिटी, हाइयर स्कूल आॅफ एकनॉमिक्स, मॉस्को, रशिया से निमंत्रण मिला। अभिनव इस कार्यक्रम में भारत से अकेले प्रतिभागी थे और नालेज मैनेजमेंट में पूरे विषय से केवल 6 प्रतिभागी निमंत्रित किए गये थे। इतनी सफलता पर अभिनव का कहना है कि ‘मैने ग्राफोलोजी से पहले अपनी जिंदगी बदली और अब दूसरों को रास्ता दिखा रहा हूं। बिना आत्मपरीक्षण का कोई भी ज्ञान व्यर्थ है। मेरी सारी सफलता का आधार ग्राफोलोजी है। अब मैं ग्राफोलोजी से सबकी सहायता करना चाहता हूं।’  अभिनव ‘सृजन 2013’ में ग्राफोलोजी पर वर्कशॉप करवाने के लिए आमंत्रित किए गये हैं। वो इस वर्कशॉप में आईएसएम, धनबाद में अपने जूनियर्स को ग्राफोलॉजी के विभिन्न पहलुओं से रुबरू करवाएंगे।

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